indian cinema heritage foundation

Pervin (1957)

Subscribe to read full article

This section is for paid subscribers only. Our subscription is only $37/- for one full year.
You get unlimited access to all paid section and features on the website with this subscription.

Subscribe now

You can access this article for $2 + GST, and have it saved to your account for one year.

  • Release Date1957
  • FormatB-W
  • LanguageHindi
  • Length3583.53 meters
  • Gauge35 mm
  • Censor RatingU
  • Censor Certificate NumberU-22201/57-MUM
  • Certificate Date29/11/1957
Share
41 views

परवीन मुस्लिम घराने की एक होनहार तथा विद्वान कन्या थी- वह ऐसी युवती थी जिससे एक बार भेंट कर लेने पर कोई उसे भूल नहीं सकता था-नई रोशनी में पली हुई होने के अलावा भी उसमें एक घरेलू तथा संस्कारी लड़की के गुण थे। इमानदारी, नेकी सच्चाई और अनेकों गुणों की वह एक जीवित नमूना थी - यही कारण था कि युवक अनवर के हृदय में परवीन जैसी लड़की के लिये प्रेम उमड़ आया - पहले तो वे दोनों आंखों ही आंखों में अपने हृदय का हाल कह देते फिर धीरे धीरे वह ज़बान पर आ गया। दोनों ने एक दूसरे से प्रेम की प्रतिज्ञा कीं और इस प्रेम को और भी दृढ़ बनाने का दोनों ने सच्चा संकल्प किया।

विवाह के बाद हर कन्या ऐसे घर का सपना बनती है जिसमें प्रेम, आराम, और खुशी हो - पर साँसारिक जीवन फूलों की सेज नहीं है। इस वाटिका के हर फूल में कांटे होते हैं। परवीन को विवाह के बाद अपनी विद्वत्ता, बुद्धि शुभइच्छाओं की बड़ी कठिन परीक्षा देनी पड़ी। उसने अपना घर-देश और सगे सम्बन्धियों को छोड़कर अपने पति के साथ परदेश की खाक़ छानी-हर तरह के कष्ट झेले - पर अपने पति को कठिन से कठिन दुख में भी न छोड़ा। अगर दो हृदय एक हों तो बड़ी से बड़ी मुसीबत हल हो जाती है - लेकिन अनवर बुरी संगत में और बड़े शहर की रंगरेलियों में पड़कर ऐसा भटक गया कि परवीन अपने पति के प्रेम से हाथ धो बैठी।

लोगों ने कहा कि वह जुवाड़ी, शराबी और बदमाश है - उसके बाप ने परवीन को समझाया कि ऐसे इन्सान के लिये जान देना हराम मौत मरना है लेकिन वह यही कहती रही कि वह उसे इस हालत में नहीं छोड़ सकतीं। समझा-बुझाकर जब तंग आ गये तो अपनों ने भी साथ छोड़ दिया। उसके पति पर खून करने का रोष लगाया गया और बाद में यह समाचार भी आ गया कि वह मर गया - फिर साज़िश करने वाले हाथ आगे बढ़े और उस पतिव्रता स्त्री की मज़बूरी से लाभ उठाने की कोशिश थी - पर वह थी कि अकेले दम इन सब परेशानियों का सामना कर रही थी लेकिन परवीन के क़दम नहीं डगमगाये - परन्तु उसने इन तमाम साजिशों का भण्डा फोड़ करके अपनी इज़्ज़त बचाई और साथ ही अपने पति को भी बुराइयों तथा बदनामी से बचाया। यह सब कैसे हुआ? परवीन इस कठिन परीक्षा में कैसे उत्तीर्ण हुई?

इसका पूर्ण विवरण आप फिल्म परवीन देखकर ज्ञात कर सकते है।

(From the official press booklet)

Subscribe now